मोटे अनाज से किसानों को बड़े विदेशी बाजार का मिलेगा फायदा

निरंतर प्रयास से मोटे अनाज का लीडर बनता भारत

2023 को अंतरराष्ट्रीय श्रीअन्न वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस लिहाज से भारत में मोटे अनाजों के उत्पादक किसानों एवं कारोबारियों के लिए वर्ष अति महत्वपूर्ण और लाभकारी साबित होने वाला है। सरकार की प्राथमिकता को देखते हुए देश में मोटे अनाजों के उत्पादन खपत और निर्यात की संभावनाएं तलाशने के लिए सरकारी तंत्र एकत्रित होकर व्यवस्था पूर्ण तरीके से कार्यरत है। इस प्रोत्साहन से देश में भी मोटे अनाज की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। वहीं भारत से प्रेरणा लेते हुए दूसरे देशों ने भी इसके महत्व को समझ कर यह जान लिया है की मांग के अनुसार आपूर्ति की जिम्मेदारी भारत की ही होगी क्योंकि मोटे अनाजों के उत्पादन में विश्व में भारत सबसे आगे है।

 

मोटे अनाज के उत्पादन में विश्व लीडर भारत

"अकेले भारत में 12.49 एमएमटी मोटे अनाज का उत्पादन हुआ। यानी, कुल मोटे अनाज उत्पादन का 41 प्रतिशत अकेले भारत में उगता है। भारत ने 2021-22 में मोटा अनाज उत्पादन में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि इससे पहले के वर्ष में यह उत्पादन 15.92 एमएमटी था।"

-       AFO

क्या होता है मोटा अनाज?
मोटे अनाज के अंतर्गत आठ फसलें शामिल हैं। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मोटा अनाज की फसल कहा जाता है। ये फसलें आम तौर पर सीमांत और असिंचित भूमि पर उगाई जाती हैं, इसलिए इनकी उपज स्थायी खेती और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करती है।

मोटे अनाज का महत्व
मोटे अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है।मोटे अनाज के इसी महत्व को समझते हुए केंद्रीय बजट में इसे प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव पारित हुआ है। मोटे अनाजों के लिए विश्व बाजार की तलाश शुरू कर दी गई है और इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादन निर्यात विकास प्राधिकरण एपीडा को सौंपी है।

प्राचीन इतिहास
पुराने ववक्त में भारतीय लोगों का भोजन रहे मोटे अनाज 'सुपर फूड' के नाम से जाने जाते हैं। मोटे अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है क्योंकि इससे प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।

आयातक देशों की सूची तैयार
एपीडा ने भी तत्परता से दो स्तरों पर काम प्रारंभ कर दिया है।  उसने ऐसे 30 प्रमुख देशों की सूची बनाई है जो मोटे अनाज के बड़े आयातक है साथ ही देश के किस राज्य में उत्पादन बढ़ाने की कार्य योजना भी बना ली है। भारत जिन प्रमुख देशों को मोटे अनाज का निर्यात करता हैं, उनमें संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, सऊदी अरब, लीबिया, ओमान, मिस्र, ट्यूनीशिया, यमन, ब्रिटेन तथा अमेरिका हैं। भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले मोटे अनाजों में बाजरा, रागी, कनेरी, जवार और कुट्टू शामिल हैं। मोटे अनाज आयात करने वाले प्रमुख देश हैं - इंडोनेशिया, बेल्जियम, जापान, जर्मनी, मेक्सिको, इटली, अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील और नीदरलैंड।

स्टार्टअप के जरिए ब्रांडिंग, प्रोसेसिंग, प्रोडक्शन और सेल पर ध्यान
मोटे अनाज की खपत और कारोबार को प्रोत्साहित करने के लिए श्रीअन्न ब्रांड का निर्माण किया जा रहा है। रेडी टू ईट और रेडी टो सर्व के अनुकूल मोटे अनाज पर आधारित सैंपल और स्टार्टअप जोड़े जा रहे है। जो ज्वार, बाजरा, रागी एवं अन्य मोटे अनाजों से नूडल्स, बिस्कुट, पास्ता, नाश्ता, मिक्स कुकीज स्नैक्स एवं मिठाईयां आदि बना सके ताकि विश्व बाजार में निर्यात को बढ़ावा देने में सहूलियत हो सके। ऐसे उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय एवं डोमेस्टिक व्यापार मेलों में विदेश, राज्य, जिला स्तर तक प्रचारित भी किया जा रहा है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय वर्ष 2026-27 तक बाजरा आधारित उत्पादों को प्रोत्साहित करने की योजना पर 800 करोड़ खर्च करने जा रहा है।

 

इस साल भी मोटे अन्न को प्रोत्साहित करने के लिए कई कार्यक्रम तय किए गए हैं। 140 से अधिक देशों में भारत के दूतावास 2023 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के उत्सव, आईवाईएम पर साइड इवेंट आयोजित करके प्रदर्शनी, सेमिनार, वार्ता, पैनल चर्चा के साथ-साथ स्थानीय कक्षों की भागीदारी, भोजन ब्लॉगर्स, खाद्य पदार्थों के आयातक और स्थानीय रेस्तरां आदि में भाग लेंगे।


इसके अलावा बाजरा जी-20 बैठकों का भी एक अभिन्न हिस्सा रहा है। इसके तहत भारत में हुई जी-20 की बैठक में  प्रतिनिधियों को इसे चखने, किसानों से मिलने और स्टार्ट-अप एफपीओ के साथ संवादात्मक सत्रों के माध्यम से मोटे अनाज को लेकर अनुभव प्रदान करने का अवसर दिया गया।

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