सरकार, सेवाएं और महिलाएं

हाल ही में पेश हुए सालाना बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उनकी सरकार नारी सशक्तीकरण की दिशा में कदम उठा रही है। इसके बाद बजट में उन्होंने एक प्रस्ताव रखा जिसके तहत महिलाओं को दो वर्षों के लिए 2,00,000 रुपये जमा करने पर 7.5 फीसदी ब्याज मिलेगा। इसके अलावा उन्हें जरूरत पड़ने पर धन की निकासी की छूट भी मिलेगी। इसे महिला सम्मान पत्र  का नाम दिया गया है और इसकी पात्र कोई भी बालिका या महिला हो सकती है। यह एक स्वागत योग्य कदम है क्योंकि महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने की दिशा में यह अभिनव प्रयास है। 

21वीं सदी के भारत में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से किसी भी मायने में कम नहीं है। देश की प्रगति में आधी आबादी का योगदान कमतर नहीं आंका जा सकता। यह बात सरकार भी जानती हैं और इसीलिए महिलाओं के सशक्तिकरण उत्थान और विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए तरह-तरह की योजनाएं निरंतर रूप से चलाती रहती है। इन योजनाओं का लाभ महिलाओं तक किस हद तक पहुंच रहा है और इनसे नके जीवन में कितना व्यापक परिवर्तन आ रहा है जानने का सही तरीका महिलाओं के बीच जाकर उनसे बात करना है

केंद्र सरकार की सेवाओं और उनसे महिलाओं के जीवन में आ रहे परिवर्तन की जमीनी हकीकत जानने के लिए सेंटर फॉर सिविल सोसायटी आ पहुंचा उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ में। जहां दिनांक 2 फरवरी 2023 को एक निजी प्रतिष्ठान में आयोजित हुए "सरकार, सेवाएं और महिलाएं" नामक परिचर्चा में प्रदेश के कई हिस्सों से आई महिलाओं ने केंद्र सरकार की सेवाओं से जीवन में आ रहे परिवर्तन के अपने अनुभव सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी की सीनियर फेलो और कार्यक्रम की संचालिका श्रीमती सुदेष्णा मैती से साझा किए।

"केंद्र सरकार की कई योजनाएं केवल महिलाओं के लिए हैं। मोदी सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई कदम उठाए हैं। जिसका लाभ बड़े पैमाने पर देश की महिलाओं को मिल रहा है। सरकार का उद्देश्य है कि महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ें। वैसे भी हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है। सेंटर फॉर सिविल सोसायटी जो की एक रिसर्च संस्थान है, महिलाओं के बीच जाकर उनके अनुभव समझ रही है जिससे आने वाली योजनाओं के क्रियान्वयन में संस्थान अपनी भूमिका निभा सके और महिला उत्थान के अपने उद्देश्य की ओर अग्रसर हो" - सुदेष्णा मैती, सीनियर फेलो, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी

जीवन से धुएं को धुआं कर दिया

कार्यक्रम में पहुंची कानपुर के औद्योगिक इलाके बीएम मार्केट की रहने वाली पूनम शुक्ला, जो की एक टीवी मैकेनिक की पत्नी हैं कहती है कि प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के अंर्तगत उन्हें मिले सिलेंडर ने उनके जीवन से धुएं को धुआं कर दिया। 

"पहले हम चूल्हे पर खाना बनाते थे, बहुत धुआं लगता था आंखों में, खांसी भी आती थी लेकिन उज्जवला योजना से मिले सिलेंडर ने जीवन आसान कर दिया, अब मेरा खाना भी जल्दी बनता है और परेशानी भी नहीं होती है।"

-          पूनम शुक्ला, कानपुर

 आपको बता दें कि 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से इस योजना की शुरुआत हुई थी। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर गृहणियों को रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराई जाती है। अब तक देश के करोड़ों परिवारों को इस योजना का लाभ मिल चुका है। 

देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संसद में अपने पहले संबोधन में कहा, "मेरी सरकार द्वारा शुरू की गई सभी योजनाओं के मूल में महिला सशक्तिकरण रहा है। आज हम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की सफलता देख रहे हैं।"

उन्नाव की रहने वाली अंजू सेठ के अनुभव बताते है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना काफी सफल योजना है जिसने बेटियों की शिक्षा को न सिर्फ बढ़ावा दिया है बल्कि ऐसा माहौल भी बनाया है जिससे अविभावक बेटियों को पढ़ाने के लिए जागरूक और प्रोत्साहित हुए है।

"मैंने अपने आस पास उन्नाव में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का प्रभाव गहनता से अनुभव किया है, आज हर पिछड़े, मध्यम वर्ग की बेटियों को शिक्षा मिल रही है, ऐसी योजनाएं और बननी चाहिए और बजट भी मिले जिससे शिक्षा बेटियों को और आगे तक मिले। सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के कार्यक्रम में आकर अच्छा लगा, उम्मीद है यहां सांझा किए मेरे अनुभव महिलाओं के लिए योजनाएं बनाने और उनके क्रियानवन में मददगार होंगे।"

-          अंजू सेठ, उन्नाव

 महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार

फ्री सिलाई मशीन योजना का शुभारंभ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देश की महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए किया गया था। कानपुर की ज्योति सिलाई कढ़ाई का काम करती है। उन्होंने बताया कि फ्री सिलाई मशीन योजना से मिली मशीन से उनकी आर्थिक तरक्की हुई है। 

 "सिलाई कढ़ाई मेरा पैशन और कमाई का जरिया भी है, मैं खाली समय में सिलाई का काम करती हूं, मोदी सरकार से मिली मुफ्त सिलाई मशीन से मेरे जीवन में अच्छा बदलाव आया है, अब मुझे पति से मिलने वाले पैसों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, मैं अपना खर्चा खुद चलाती हूं।"

-          ज्योति गुप्ता, कानपुर

सेंटर फॉर सिविल सोसायटी द्वारा आयोजित चर्चा में साझा हुए महिलाओं के अनुभव साफ तौर पर दर्शा रहे है कि बदलाव हो रहा है। सेंटर फॉर सिविल सोसायटी का मकसद देश के कोने-कोने में जाकर सरकारी योजनाओं से महिलाओं के जीवन में आ रहे बदलावों को दर्शाना है साथ ही योजनाएं कितनी कारगर है, पता लगाना है । सेंटर फॉर सिविल सोसायटी एकत्रित हुई जानकारी से बेहतर योजनाओं और उनके क्रियान्वयन के प्रति अपने प्रयासों के प्रति प्रतिबद्ध है।

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