जल है तो कल है

"जल संरक्षण और प्रबंधन को समझाने के लिए यूएन ने उठाए उचित कदम। जल है तो कल है। ये समझने के लिए यही अहम पल है।"

22 मार्च को हर साल विश्व भर में सभी देशों में जल संरक्षण के महत्त्व को समझने और समझाने के लिए विश्व जल दिवस मनाया जाता है। बढ़ते जल संकट की ओर सबका ध्यान आकर्षित करने के लिए विश्व जल दिवस को यूएन ने प्रमुखता दी है।  हर साल इसकी अलग थीम भी रखी जाती है। इस वर्ष विश्व जल दिवस 2023 की थीम क्या है? क्या है इसके मायने? कैसे हुई इसकी शुरुआत? दुनिया को क्यों इस ध्यान देने की जरूरत है।

 

इसका इतिहास और महत्व सभी महत्वपूर्ण जानकारी आप इस आर्टिकल में जान सकेंगे।

 

प्रयासों में ईमानदारी की जरूरत

जल ही जीवन है। यह लाइन तो आपने कई बार सुनी होगी लेकिन आज भी बढ़ते जल संकट के बीच, इस लाइन को सार्थक करने के प्रति मानव की सजगता और जागरूकता उस जायज मुकाम तक नहीं पहुंची जहां वह खुद अपना जीवन बचाने के लिए अग्रसर दिखाई दे। जल संरक्षण के मामले में भी तस्वीर धुंधली दिखाई देती है हम सुनते आए हैं कि जल ही जीवन है। पिछले कुछ दशक से वैश्विक स्तर पर पानी की बढ़ती खपत और इस कारण से गहरा ते संकट पर विमर्श बहुत हुआ विशेषज्ञों ने चेताया भी लेकिन जमीनी स्तर पर खासकर भारत जैसे देश में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता बेहद कम नजर आती है। इसका मूल कारण यह भी है कि अभी तक हमें पूर्णता स्वच्छ जल की पूर्ति नहीं हो पाई है। इसकी बड़ी वजह यह है कि बात तो खूब होती है कि क्या जाना चाहिए लेकिन कोई अपने स्तर पर जिम्मेदरी उठाने को तैयार नहीं दिखता है। हर व्यवस्था सरकार के भरोसे छोड़ दी जा रही है अपने स्तर पर लोग ना तो जल के बेतहाशा बरबादी को लेकर सचेत नजर आते हैं ना ही जल संरक्षण के प्रयासों की दिशा में कार्यरत दिखाई देते हैं।

क्यों जरूरी है जल संरक्षण?

·       25% यानी कि 2 अरब लोगों के पास पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है।

·       55 % तक बढ़ सकती है 2050 तक दुनिया भर में पानी की मांग।

·       44% अपशिष्ट जल जो घरों से निकलता है उसके ट्रीटमेंट की उचित व्यवस्था नहीं है।

·       14 लाख लोग प्रति वर्ष जान गवा देते हैं खराब पानी एवं स्वच्छता की कमी के कारण होने वाली बीमारियों से।

·       7.4 करोड़ लोगों की उम्र गंदे पानी व स्वच्छता में कमी से फैले बीमारियों के कारण घट रही है।

·       3.6 लोगों के पास स्वच्छता की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

इन छोटे-छोटे कदमों से मिलेंगे बड़े परिणाम

·       युवक ने जल संरक्षण को समर्पित अपनी वेबसाइट में उन कदमों का भी उल्लेख किया है जिन्हें अपनी जीवन में अपनाकर हम जल संरक्षण की दिशा में योगदान दे सकते हैं।

·       पानी बचाएं: नहाते समय अनावश्यक रूप से पानी ना बहाएं ब्रश करते समय बर्तन धोते समय और खाना बनाते समय नल खुला छोड़ कर कुछ ना करें।

·       सुरक्षित तरीके से करें फ्लश: कहीं पानी का लीकेज ना होने दें भरे सेप्टिक टैंक को समय पर खाली करवाएं।

·       ना फैलाएं प्रदूषण: फूड वेस्ट, ऑयल, दवा और रसायन आदि को टॉयलेट या ड्रेन में ना बहाएं।

·       स्थानीय खाद पदार्थ खाएं: स्थानीय स्तर पर उगाए और बनाए जाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें मौसमी फल सब्जी खाएं ऐसे खाद्य पदार्थ चुने जिन के उत्पादन में कम पानी लगता है।

·       प्रकृति की रक्षा करें: पौधे लगाए और बाढ़ व तूफान से बचाव के लिए प्राकृतिक व्यवस्था में योगदान दें।

·       स्वच्छता का हिस्सा बने: स्थानीय नदियों तालाबों व अन्य जल स्रोतों की सफाई में योगदान दें।

 

जल बचाइए, जीवन बचाइए

हमें यह जनना बेहद जरूरी है कि पृथ्वी पर थोड़ा सा पानी ही पीने लायक है। आपको जानकर हैरानी होगी की 71% पृथ्वी की सतह पर कुल पानी है।  इसमें से 97% पानी सागर, महासागरों में है जो खारा है और पीने खेती करने या उद्योगों में प्रयोग के लायक नहीं है।  3 प्रतिशत पानी ही ताजा पानी की श्रेणी में आता है जो प्रयोग किया जा सकता है 2.5% ताजा पानी ग्लेशियर, ध्रुवी बर्फ, वातावरण में वाष्प और मिट्टी में नामी के रूप में पाया है जिस तक पहुंच पाना असंभव है। बचता है 0.5% ताजा पानी ही नदी तालाब भुजल आदि के रूप में है जिसे हम प्रयोग करते हैं। यदी पृथ्वी पर कुल उपलब्ध पानी को 100 लीटर माने तो हमारे प्रयोग के लिए उसमें मात्र आधा चमक पानी ही है। ऐसे में हमें इसके प्रति सजग रहकर अपना जीवन बचाने के लिए जल संरक्षण को जीवन का हिस्सा बनाना ही पड़ेगा।

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ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।

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