गौ काश्त अभियान
गोबर से लकड़ी और ईंट बनाने की मशीन से बदल रही किसानों की स्थिति। जानिए क्या है गौ काश्त अभियान, जो बदल रहा पशु पालक किसानों की जिंदगी।
पर्यावरण संरक्षण आज के युग की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुका है। ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में कार्बन उत्सर्जन को कम करना समूचे ब्रह्मांड की सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में समय की मांग है कि हम अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए नए इनोवेटिव आइडियाज और रीसाइकिलिंग की तकनीक से उन उत्पादों का उत्पादन करें जिससे कि हमारे पर्यावरण संरक्षण के अभियान को मजबूती मिले। इसी अभियान को आगे बढ़ा रही है गौ काश्त मिशन के तहत बनी एक क्रांतिकारी मशीन।
आइए जानें क्या है गौ काश्त अभियान, जो बदल रहा लोगों की जिंदगी।
गौ काश्त अभियान के तहत गोबर से ईंट और लकड़ी बनाने की मशीन का आविष्कार:
अभी तक आपने गोबर के कई प्रयोगों के बारे में सुना होगा लेकिन गोबर से लकड़ी और ईंटें बनाने के बारे में बेहद कम ही लोग जानते है। जी हां अब एक ऐसी मशीन आ गई है जो गोबर से बनाती है ईंट और लकड़ी। इस मशीन की सहायता से हर दिन 3,000 किलो गोबर से 1,500 किलो गोबर के लट्ठे या लकड़ी का उत्पादन किया जा सकता है, जिनका इस्तेमाल 5 से 7 शवों का दाह-संस्कार करने के लिए भी किया जा सकता है।
तेजी से बढ़ता गौ काश्त अभियान:
बीते 6 मई को केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने प्रोजेक्ट अर्थ के तहत आईआईटी दिल्ली के छात्रों को भी यह गौ काश्त मशीन सौंपी है। पीबीएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया “गौ काश्त अभियान” रंग ला रहा है। इस अभियान के तहत गोबर को लकड़ी और ईंटें बनाने के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे किसानों, महिलाओं और गौशाला चलाने वाले लोगों के जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं।
क्या है गौ काश्त अभियान?
गौ काश्त अभियान एक ऐसा अभियान है, जिसके माध्यम से गोबर के द्वारा मशीनों के सहारे लकड़ी और ईंटें बनाई जा सकती है। गौ काश्त मशीन गोबर से लकड़ी बनाने के अलावा और भी कई कामों में इस्तेमाल की जा सकती है। इस मशीन के जरिये खेतों में पड़ी पराली, गेहूं का भूसा, सरसों की तुडी आदि पड़े वेस्ट मटेरियल तैयार कर आमदनी कमाई जा सकती है। इन वेस्ट मटेरियल से किसान अपनी पसंद से मशीन में डाई लगाकर गोल चकोर व आवश्यकता अनुसार साइज की लकड़ी बना सकते हैं।
गौ काश्त से बढ़ रही किसानों की आमदनी:
इस मिशन के न होने से पहले किसानों और पशुपालकों को गोबर के निष्पादन के लिए समय और पैसे दोनों खर्च करने पड़ते थे लेकिन इस मशीन के आ जाने के बाद बेकार पड़ा गोबर उपयोगी साबित हो रहा है। गौशालाओं में काम करने वाले मजदूरों और आसपास के किसानों को यह मशीन रोजगार मुहैया करवा रही है। पहले जहां गोबर का इस्तेमाल सिर्फ खाद बनाने के लिए किया जाता था, वहीं अब अन्य चीजों के लिए भी किया जा रहा है। महिलाएं जहां गोबर के उपले दीवारों और अन्य जगहों पर लगाती रहती थी इस मशीन के आ जाने से उन्हें बहुत सहूलियत मिली है।
पिछले ही साल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गोबर से बना पेंट भी लॉन्च किया था। अब इसी गोबर से लकड़ी और ईंटें भी बनाई जा रही है।
डिस्क्लेमर:
ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।
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