जेम्स एम. बुकानन
व्यक्तित्व एवं कृतित्व
[जन्म - 3 अक्तूबर 1919]
जेम्स बुकानन ने गॉर्डन टलक के साथ मिलकर ‘Public Choice Theory’ या ‘लोक चयन के सिद्धांत’ की खोज की. 1986 में उन्हें अपने काम ‘अनुबंधात्मक और संवैधानिक आधार पर’ अर्थशास्त्रीय सिद्धांत का विकास और राजनैतिक निर्णय पर अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला.
बुकानन ने शिकागो यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के बैचलर डिग्री प्रोग्राम में उदारवादी समाशास्त्री के रूप में दाखिला लिया. फ्रेंक नाइट के ‘मूल्य सिद्धांत’ के पाठ्यक्रम को छह हफ्तों तक पढ़ने के बाद बुकानन ने यह महसूस किया कि वह एक उत्साही, स्वतंत्र, बाजारवादी हो गए हैं.
बुकानन ने अपने भीतर अगला मुख्य बदलाव तब देखा जब वह स्वीडिश अर्थशास्त्री नट विक्सेल (Knut Wicksell) का जर्मन भाषा में एक लेख पढ़ा. 1898 में लिखे इस लेख की गूढ़ बात का संदेश यह था कि लोगों की कमाई पर सरकार की ओर से लगाए जाने वाले कर और सरकारी खर्च सभी पक्षों की ओर से एक मत से स्वीकार किए जाने पर पर न्यायसंगत हैं.
विक्सेल ने भी इसी प्रकार अपना मत रखा कि लोगों से कर, विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए लिए जाते हैं और इन करों को उन लोगों से लिया जाना चाहिए जो इन कार्यक्रमों इसका पूर्ण लाभ उठाते हैं. विक्सेल का मत 1940 के दशक में प्रचलित मुख्यधारा के विचारों के मत से एकदम विरुद्ध था. मुख्यधारा के विचारकों का मत था कि करदाता जो कर देता है और उसे जो लाभ प्राप्त होता है उसके बीच में कोई संबंध नहीं होना चाहिए किंतु बुकानन ने इसे समझाने का एक तरीका माना. उन्होंने इस निबंध का अंग्रेजी में अनुवाद किया और विक्सेल के विचारों पर आगे सोचना शुरू किया.
उसके विचारों का नतीजा यह निकला कि गॉर्डन तुलक के साथ मिलकर एक किताब लिखी जिसका नाम था ‘Calculus of Consent’ (अनुमति का कलन). उन्होंने बताया कि मतैक्य प्रायोगिक तौर पर नहीं हो सकता अतः उन्होंने नियमों में सुधार किया और Workable Unanimity यानी काम करने योग्य मतैक्य का नियम दिया. एंटोनी डाउन्स के साथ उनकी किताब ‘An Economic Theory of Democracy’ (लोकतंत्र का अर्थशास्त्रीय सिद्धांत) ने सार्वजनिक चयन का क्षेत्र आरंभ किया. यह पुस्तक आज एक श्रेष्ठतम कृति है. बुकानन और टलक ने मिल कर एक शैक्षणिक अखबार- Public Choice ‘सार्वजनिक चयन’ निकाला. शायद बुकानन का अर्थशास्त्र सार्वजनिक चयन में दो स्तरों पर भेद बताना है. आरंभिक तल पर संविधान का चुनाव और दूसरा, संविधान के बाद का तल.
पहला तल ऐसा है जिसमें खेल के नियमों को तय करना और दूसरे तल पर नियमों का पालन करते हुए खेल खेलना है. बुकानन ने अपने साथी अर्थशास्त्रियों को अपने प्रथम तल के विचारों को ग्रहण करने का आग्रह किया और दूसरे तल के राजनैतिक खिलाड़ियों की गंदगी से दूर रहने को कहा. अपनी धारा का प्रचार करने के लिए उन्होंने ‘संवैधानिक अर्थशास्त्र’ नाम का नया अखबार निकाला.
बुकानन का यह भी मानना था कीमत विषयगत है अतः अधिकतर कल्याणकारी अर्थशास्त्र कीमत को लाभ पहुंचाने के लिए झुका हुआ है. इसी कारण यह गलत है. उन्होंने अपने विस्तृत विचार- ‘कीमत और चयन’ नामक जोश दिलाने वाली अर्थशास्त्र की किताब में लिखे हैं फिर भी बुकानन अपने साथी अर्थशास्त्रियों को अपने मत से सहमत करवाने में सफल नहीं हुए.
बुकानन दक्षिणपंथी हैं और उन्हें अपनी परंपरा, विरासत पर गर्व है. उनका जन्म मुरफ्रीबोरो टेनिसी में हुआ और उन्होंने अपना अधिकांश शैक्षणिक जीवन वर्जीनिया में बिताया. पहले वर्जीनिया यूनिवर्सिटी और बाद में वर्जीनिया पॉलिटैक्निक इंस्टिट्यूट और स्टेट यूनिवर्सिटी में बिताया और कुछ समय जॉर्ज मेसन में काम किया. 1969 में बुकानन सार्वचजनिक चुनाव अध्ययन केंद्र के पहले निर्देशक बने. 1963 में दक्षिणी अर्थशास्त्रीय संस्था के अध्यक्ष और 1983-84 में पश्चिमी अर्थशास्त्रीय संस्था के अध्यक्ष रहे. 1971 में अमेरिकी अर्थशास्त्रीय संस्था में उपाध्यक्ष के पद पर रह कर कार्य किया.
प्रमुख रचनाएं
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